24 Sept 2012

विकल्प


उसका कोई अपना अस्पताल में पड़ा अपनी आखिरी साँसें गिन रहा था लेकिन वो चाह कर भी नहीं रो सकता था क्यूंकि बहुत लोगों की हिम्मत उसके आंसुओं पर टिकी थी | भगवान से किसी चमत्कार की उम्मीद करने के सिवा उसके पास और कोई विकल्प भी कहाँ था ( काश सच में उस दिन कोई चमत्कार हो जाता ) -

नहीं रोऊँगा , नहीं रोऊंगा ,
तेरी मीठी यादों के अब ,
सपने संजोउंगा |
नहीं रोऊंगा |

एक दिन तूने चलना सिखाया था माँ ,
आज तू ही क्यों बिस्तर पे बेसुध पड़ी ,
मेरी तुतली जुबां को सहारा दिया ,
फिर मेरे सामने क्यूँ तू चुप सी पड़ी ,
नहीं रोऊँगा , नहीं रोऊंगा ,
तेरी सारी बातों की मैं ,
माला पिरोउंगा |
नहीं रोऊंगा |

जब भी मुश्किल पड़ी , तुझे याद किया ,
बोल किसको भला अब मैं याद करूँ ,
तूने मेरे लिए कितने सजदे किये ,
तेरी खातिर कहाँ फ़रियाद करूँ ,
नहीं रोऊँगा , नहीं रोऊंगा ,
तेरे लौटने के अभी ,
ख्वाब मैं बोऊंगा |
नहीं रोऊंगा |

अब मुझमें नहीं माँ हिम्मत बची ,
अपनी गोदी में सर को छुपा लेने दे ,
मैं भी तुझसे लिपट लूँ ज़रा देर माँ ,
मेरी आँखों में आंसू भी आ लेने दे ,
मैं अब रोऊंगा , मैं अब रोऊंगा ,
तेरे पाँव माँ अपने ,
आंसू से धोऊंगा |
माँ अब रोऊंगा , मैं अब रोऊंगा |
.
@!</\$}{
.

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर ...
    सचमुच रुला दिया........

    अनु

    ReplyDelete
  2. बहुत मार्मिक दिल को छू गई आपकी रचना बधाई कल चर्चा मंच पर चर्चा होगी आपकी इस रचना की

    ReplyDelete
  3. अंतस को छू गई रचना आपकी ...!!
    बहुत अच्छा लिखा है ...!!
    शुभकामनायें ...!!लिखते रहें ...!!

    ReplyDelete
  4. yar seriously bht achi h ye poem,,
    u dnt need any comments or likes,,
    full stars *****

    ReplyDelete
  5. वेदना और आलोडन है इस रचना में एक शिखर से दूसरे शिखर तक .ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
    दी इनविजिबिल सायलेंट किलर

    ReplyDelete
  6. Achha Likha hai! Likhte reho...
    Mujhe agli rachna ka intezar hai!!

    ReplyDelete
  7. Some very riveting lines..& good use of rhyme. Good work!!

    ReplyDelete
  8. माँ इन आंसुओं को आँचल में समेत ही लेगी, टॉफी सी हंसी बच्चे के चेहरे पर रख देगी .... वह थककर भी नहीं थकती, इसलिए रोना नहीं है

    ReplyDelete
  9. मर्म से भरी हुई रचना :((((((((

    ReplyDelete