जेठ की तपती दोपहर में सड़क पर एक आदमी उसे बुरी तरह पीट रहा था और बाकी तमाशबीन की तरह खड़े थे , मजे ले रहे थे | लेकिन वो थी कि जैसे उसे इस सब की आदत हो | बिना लोगों की तरफ ध्यान दिए वो सिर्फ उस सड़क की तरफ देख रही थी जो शहर की तरफ जाती थी | इस उम्मीद में कि शायद आज वो आएगा और उसे इस नर्क से बाहर निकालेगा -
कहाँ गए जी तुम बिन बोले ,
हम तुम्हरे बिन आधे हैं ,
दो पल में ही तोड़ दिए ; जो
जनम-जनम के वादे हैं ,
बीत गए दस साल हैं तुमका ;
स्वामी अब तो आ जाओ ,
ऐसा कौना काम है तुमका ;
हमहूँ का बतला जाओ ,
तुम्हरी इक-टुक राह निहारें
; हम पग में ही हैं बैठीं ,
अँखियाँ हमरी रो-रोकर अपना
परताप हैं खो बैठीं ,
हम कहतीं हैं स्वामी हमरे
सहर गए हैं ; आवत हैं ,
सब हमका पगली बोलत हैं ;
पीटत और बिरावत हैं ,
सब बोलत हैं पगली तुमका छोड़
गवा तुम्हरा स्वामी ,
राह अकारण तकती हो ; करती
असुअन की नीलामी ,
झुठला दो इन सबका स्वामी ,
झलक एक दिखला जाओ ,
बीत गए दस साल हैं तुमका ;
स्वामी अब तो आ जाओ ||
हमका कुछ भी नीक न लगे ; जग
तुम्हरे बिन सूना है ,
तुम्हरे बिन मूरत कान्हा की
; जैसे एक खिलौना है ,
तुम्हरे बिन कुछ सूझत नाहीं
; कैसा दिन और कैसी रात ,
तुम्हरे बिन गेंदा
निर-अर्थक ; निर-अर्थक सी है बरसात ,
पैंतीस बरस भी भये ना हमका ; हम पचपन की लगतीं हैं ,
सुध-बुध सारी खो बैठीं ; बस
राह तुम्हारी तकती हैं ,
हमका तुमसे प्रेम बहुत है ;
तुम ही एक सहारा हो ,
हमरी डूबी नैया का ; तुम्ही
तो एक किनारा हो ,
हमरी नैया अब डूब रही ;
आकार पार लगा जाओ ,
बीत गए दस साल हैं तुमका ;
स्वामी अब तो आ जाओ ||
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.
अच्छा लिखा....
ReplyDeletenice one......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
bahot behtareen hai bhaiya..!!
ReplyDeleteभावनाओं को देखना,समझना,अभिव्यक्त करना एक उपलब्धि है ... जिसे यहाँ पा रही हूँ, शुभकामनायें
ReplyDeleteतड़प को बखूबी शब्दों में
ReplyDeleteढाला है बहुत बेहतरीन रचना...
बहुत बहुत धन्यवाद |
Deleteसादर
भावनाओं का भावुक और सुंदर चित्रण करती हुई... दिल को छू गयी आपकी रचना !
ReplyDeleteधन्यवाद mam.
Deleteअच्छा लिखा है आकाश....
ReplyDeleteअंकों को भी शब्दों में ही लिखो....जैसे पचपन..
भाव बहुत अच्छे हैं...संजीदा से...
अनु
अपने भाव को सहजता से कहना भी एक कला है। कविता अच्छी लगी। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteआपको भाव पसंद आये , अच्छा लगा |
Deleteब्लॉग पढ़ने के लिए सहर्ष धन्यवाद |
regards.
-आकाश
बहुत खूब! इस अंदाज में लिखते रहो।
ReplyDeleteधन्यवाद अनूप जी .
Deleteबस आपका आशीर्वाद रहे.|
सादर
बहुत अच्छा..............
ReplyDeleteखूबसूरत है. उन्नाव की याद आ गयी...
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