21 Sept 2012

स्वामी अब तो आ जाओ


जेठ की तपती दोपहर में सड़क पर एक आदमी उसे बुरी तरह पीट रहा था और बाकी तमाशबीन की तरह खड़े थे , मजे ले रहे थे | लेकिन वो थी कि जैसे उसे इस सब की आदत हो | बिना लोगों की तरफ ध्यान दिए वो सिर्फ उस सड़क की तरफ देख रही थी जो शहर की तरफ जाती थी | इस उम्मीद में कि शायद आज वो आएगा और उसे इस नर्क से बाहर निकालेगा -


कहाँ गए जी तुम बिन बोले , हम तुम्हरे बिन आधे हैं ,
दो पल में ही तोड़ दिए ; जो जनम-जनम के वादे हैं ,
बीत गए दस साल हैं तुमका ; स्वामी अब तो आ जाओ ,
ऐसा कौना काम है तुमका ; हमहूँ का बतला जाओ ,

तुम्हरी इक-टुक राह निहारें ; हम पग में ही हैं बैठीं ,
अँखियाँ हमरी रो-रोकर अपना परताप हैं खो बैठीं ,
हम कहतीं हैं स्वामी हमरे सहर गए हैं ; आवत हैं ,
सब हमका पगली बोलत हैं ; पीटत और बिरावत हैं ,
सब बोलत हैं पगली तुमका छोड़ गवा तुम्हरा स्वामी ,
राह अकारण तकती हो ; करती असुअन की नीलामी ,

झुठला दो इन सबका स्वामी , झलक एक दिखला जाओ ,
बीत गए दस साल हैं तुमका ; स्वामी अब तो आ जाओ ||


हमका कुछ भी नीक न लगे ; जग तुम्हरे बिन सूना है ,
तुम्हरे बिन मूरत कान्हा की ; जैसे एक खिलौना है ,
तुम्हरे बिन कुछ सूझत नाहीं ; कैसा दिन और कैसी रात ,
तुम्हरे बिन गेंदा निर-अर्थक ; निर-अर्थक सी है बरसात ,

पैंतीस बरस भी भये ना हमका ; हम पचपन की लगतीं हैं ,
सुध-बुध सारी खो बैठीं ; बस राह तुम्हारी तकती हैं ,
हमका तुमसे प्रेम बहुत है ; तुम ही एक सहारा हो ,
हमरी डूबी नैया का ; तुम्ही तो एक किनारा हो ,

हमरी नैया अब डूब रही ; आकार पार लगा जाओ ,
बीत गए दस साल हैं तुमका ; स्वामी अब तो आ जाओ ||
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16 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  2. bahot behtareen hai bhaiya..!!

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  3. भावनाओं को देखना,समझना,अभिव्यक्त करना एक उपलब्धि है ... जिसे यहाँ पा रही हूँ, शुभकामनायें

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  4. तड़प को बखूबी शब्दों में
    ढाला है बहुत बेहतरीन रचना...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद |

      सादर

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  5. भावनाओं का भावुक और सुंदर चित्रण करती हुई... दिल को छू गयी आपकी रचना !

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  6. अच्छा लिखा है आकाश....
    अंकों को भी शब्दों में ही लिखो....जैसे पचपन..
    भाव बहुत अच्छे हैं...संजीदा से...

    अनु

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  7. अपने भाव को सहजता से कहना भी एक कला है। कविता अच्छी लगी। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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    1. आपको भाव पसंद आये , अच्छा लगा |
      ब्लॉग पढ़ने के लिए सहर्ष धन्यवाद |

      regards.
      -आकाश

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  8. बहुत खूब! इस अंदाज में लिखते रहो।

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    1. धन्यवाद अनूप जी .
      बस आपका आशीर्वाद रहे.|

      सादर

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  9. बहुत अच्छा..............

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  10. खूबसूरत है. उन्नाव की याद आ गयी...

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