उसका कोई अपना अस्पताल में पड़ा अपनी आखिरी साँसें गिन रहा था लेकिन वो चाह कर भी नहीं रो सकता था क्यूंकि बहुत लोगों की हिम्मत उसके आंसुओं पर टिकी थी | भगवान से किसी चमत्कार की उम्मीद करने के सिवा उसके पास और कोई विकल्प भी कहाँ था ( काश सच में उस दिन कोई चमत्कार हो जाता ) -
नहीं रोऊँगा , नहीं रोऊंगा
,
तेरी मीठी यादों के अब ,
सपने संजोउंगा |
नहीं रोऊंगा |
एक दिन तूने चलना सिखाया था
माँ ,
आज तू ही क्यों बिस्तर पे
बेसुध पड़ी ,
मेरी तुतली जुबां को सहारा
दिया ,
फिर मेरे सामने क्यूँ तू
चुप सी पड़ी ,
नहीं रोऊँगा , नहीं रोऊंगा
,
तेरी सारी बातों की मैं ,
माला पिरोउंगा |
नहीं रोऊंगा |
जब भी मुश्किल पड़ी , तुझे
याद किया ,
बोल किसको भला अब मैं याद
करूँ ,
तूने मेरे लिए कितने सजदे
किये ,
तेरी खातिर कहाँ फ़रियाद
करूँ ,
नहीं रोऊँगा , नहीं रोऊंगा
,
तेरे लौटने के अभी ,
ख्वाब मैं बोऊंगा |
नहीं रोऊंगा |
अब मुझमें नहीं माँ हिम्मत
बची ,
अपनी गोदी में सर को छुपा
लेने दे ,
मैं भी तुझसे लिपट लूँ ज़रा
देर माँ ,
मेरी आँखों में आंसू भी आ
लेने दे ,
मैं अब रोऊंगा , मैं अब
रोऊंगा ,
तेरे पाँव माँ अपने ,
आंसू से धोऊंगा |
माँ अब रोऊंगा , मैं अब
रोऊंगा |
.
@!</\$}{
.
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteसचमुच रुला दिया........
अनु
बहुत मार्मिक दिल को छू गई आपकी रचना बधाई कल चर्चा मंच पर चर्चा होगी आपकी इस रचना की
ReplyDeleteअंतस को छू गई रचना आपकी ...!!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है ...!!
शुभकामनायें ...!!लिखते रहें ...!!
yar seriously bht achi h ye poem,,
ReplyDeleteu dnt need any comments or likes,,
full stars *****
वेदना और आलोडन है इस रचना में एक शिखर से दूसरे शिखर तक .ram ram bhai
ReplyDeleteमुखपृष्ठ
मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
दी इनविजिबिल सायलेंट किलर
Achha Likha hai! Likhte reho...
ReplyDeleteMujhe agli rachna ka intezar hai!!
Some very riveting lines..& good use of rhyme. Good work!!
ReplyDeletebahut hi achchha.
ReplyDeleteमाँ इन आंसुओं को आँचल में समेत ही लेगी, टॉफी सी हंसी बच्चे के चेहरे पर रख देगी .... वह थककर भी नहीं थकती, इसलिए रोना नहीं है
ReplyDeleteमर्म से भरी हुई रचना :((((((((
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