2 Sept 2012

मंजिलें और सही

कल ही तो उसने अपना बरसों पुराना सपना पूरा किया था
और आज सुबह जब सो कर उठा तो उसकी आँखों में एक नयी चमक थी , शायद एक नया सपना उसमें से झाँक रहा था -


मंजिलें और सही ,
मुश्किलें और सही ,
राह पर चल जो पड़े ,
थक के रुकना है नहीं ,
रास्ते और सही ,
मंजिलें और सही |
मुश्किलें और सही ||

कदम मजबूत पड़ें ,
भले मजबूर सही ,
कोशिशें अंत तक हों ,
अंत कुछ दूर सही ,
मेरा सफर हो तब तक ,
जब तलक सांस रहे ,
मेरे रुकने से बेहतर ,
सांस रुकना ही सही ,
मंजिलें और सही |
मुश्किलें और सही ||

वक्त थकता है नहीं ,
मैं ही फिर क्यूँ थकूं ,
मुझको जाना है वहीँ ,
घनी उस छाँव तले ,
छिप के दुनिया से जहां ,
वक्त बैठा हो कहीं ,
मंजिलें और सही |
मुश्किलें और सही ||
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