13 Sept 2012

बस यूँ ही-९


खुदा ने दी मुझे मोहलत ; मैं चाहूँ मांग लूँ तुमको ,

मैं पागल मांग बैठा था ; तेरे हर एक ही गम को ,

तू अब खुशियों की दूजी ही किसी दुनिया में रहती है

मैं अब भी हूँ तडपता ; काश खुश देखूं कभी तुझको ||
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3 comments:

  1. मैंने आपका ब्लॉग देखा अच्छा लगा..कभी समय मिले तो http://pankajkrsah.blogspot.com पर पधारने का कष्ट करें आपका स्वागत है ...सादर

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    1. पंकज जी ,
      ब्लॉग देखने का धन्यवाद |

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  2. आप मेरे ब्लॉग पर आए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.......अगर आप चाहें तो हम दोनों साहित्यिक मित्र बन सकते हैं...

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