तुमने डायरी के कुछ उनींदे पन्ने पलटे,
देर रात सोयी कुछ गजलों को जगाया,
कुछ मिसरों को पढ़ा,
और एक मोड़ पर जाकर अचानक ठिठक सी गयी,
लिखा था,
“कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता |”
अतीत की शाख से कुछ फूल चुने तो थे हमने,
अतीत की शाख से कुछ फूल चुने तो थे हमने,
मगर सब मुरझाए हुए ही क्यूँ,
कुछ नयी कोंपलें भी थीं , कुछ खिले फूल भी थे,
आज सुबह हम खिले हुए फूल चुनेंगे,
आज सुबह हम कुछ खुशनुमा सी बात करेंगे ||
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बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुतीकरण,आभार.
ReplyDeleteखुशनुमा बातों से नए दरवाज़े खुलेंगे .... सकारात्मक भाव
ReplyDeleteआज सुबह हम खिले हुए फूल चुनेंगे,
ReplyDeleteआज सुबह हम कुछ खुशनुमा सी बात करेंगे ||
अनुपम भाव संयोजन ...
Shuruaat hi jab khushnuma ho to fir aage bahut kuch khush hone ke lie hoga,chalte rahiye :)
ReplyDeleteबस यू ही लिखते रहिये
ReplyDeleteमुबारक हो
वहा बहुत खूब बेहतरीन
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
सहजता से कही गयी मन की अनुभूति
ReplyDeleteबहुत सुंदर-- ----
बधाई
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