Showing posts with label gajal. Show all posts
Showing posts with label gajal. Show all posts

24 Nov 2013

आओ ढूंढें



खुशी से भरा एक जहाँ आओ ढूंढें ,

उम्मीदों भरा आसमां आओ ढूंढें |


जिसका महल खून से न रंगा हो ,

ऐसे खुदा का निशां आओ ढूंढें |

मुहब्बत हमारी जो खो सी गयी है ,

उसे अपने ही दरमियाँ आओ ढूंढें |

कागज के फूलों को कब तक सजाएं ,

गुलों से सजा गुलिस्तां आओ ढूंढें |

आँखों का पानी इधर ही गिरा था ,

शहर के शरीफों यहाँ आओ ढूंढें ||
.
@!</\$}{

27 Feb 2013

उदास नज्म


कल रात जब जिक्र चला कुछ उदास नज्मों का, तो

तुमने डायरी के कुछ उनींदे पन्ने पलटे,

देर रात सोयी कुछ गजलों को जगाया,

कुछ मिसरों को पढ़ा, 

और एक मोड़ पर जाकर अचानक ठिठक सी गयी,

लिखा था,

“कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता |”

अतीत की शाख से कुछ फूल चुने तो थे हमने,

मगर सब मुरझाए हुए ही क्यूँ,

कुछ नयी कोंपलें भी थीं , कुछ खिले फूल भी थे,

आज सुबह हम खिले हुए फूल चुनेंगे,

आज सुबह हम कुछ खुशनुमा सी बात करेंगे ||
.
@!</\$}{

.

11 Feb 2013

फासला


क्या फरक कि मैं चला या तू चला है , 
बात है कि फासला कुछ कम हुआ है | 


एक अरसे से नहीं रूठी है मुझसे ,
मुझको किस्मत से फ़कत इतना गिला है |

टूटने वाला हूँ मैं कुछ देर में , 
ये मेरी अपनी अकड़ का ही सिला है | 

तू भी इक दिन फेर लेगा मुंह यकीनन , 
खून में तेरे वही पानी मिला है | 

आईने से मुंह चुराते हो भला क्यूँ , 
एक तेरा ही तो मुंह दूधों धुला है | 

आज नाजायज है अपने ही शहर में , 
वो गुनाह जो सबकी गोदी में पला है | 

दफ्न कर डाले हैं सबने फ़र्ज अपने , 
दौर ये अंगुली उठाने का चला है | 

एक दिन बदलेगी ये तस्वीर, लेकिन 
बोलने से क्या कभी पर्वत हिला है ?
.
@!</\$}{
.