कंक्रीट की दीवारों पर कभी बसन्त नहीं आता, ज़रा सोचियेगा :( -
पूरे घर को इंतज़ार है बसन्त चाचा का,
वो हर साल इन्हीं दिनों मिलने आते हैं,
एक पीली सी शर्ट , भीनी खुशबू में लिपटी,
चिरयुवा चेहरा , खुशियाँ बांटती आवाज
यही पहचान है उनकी|
उनके आते ही घर का मौसम बदल जाता था,
हम बच्चे पक्षियों की तरह उनके इर्द-गिर्द लिपटते थे,
कोई कंधे पर तो कोई गोदी पर|
आज सुबह एक बुजुर्ग ने दरवाजे पर दस्तक दी,
बदरंग कपड़े, रुंधा हुआ गला, बासी सी शक्ल
जो कुछ-कुछ बसन्त चाचा से मिलती थी,
ये क्या हाल हुआ उनका, कैसे हुआ, किसने किया?
शायद मैंने,
मैंने ही तरक्की की दौड में उनका घर जला दिया था कभी,
उनके कुछ पालतू मार डाले थे शायद,
जाने-अन्जाने उनको चोट देता गया, और
उनको इस हाल पर पहुंचा डाला मैंने,
न जाने अब कितने दिन और जी सकेंगे वो|
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खैर आप सभी को बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनायें , माँ सरस्वती का आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहे| बस एक बार इस विषय पर सोचियेगा जरूर :)
अरे, कितनी अजीब बात है. तुमने वसंत पंचमी की बात की और मुझे मेरे बसंत चाचा याद आ गए. मेरे बाऊ के बहुत अच्छे दोस्त थे वो...अपने ब्लॉग पर 'खुरपेंचे खुराफातें..' वाली पोस्ट उन्हीं के बारे में लिखी थी. उनका जन्म वसंत पंचमी को ही हुआ था, तो आज उनका जन्मदिन है. 2003 में उनकी कैंसर के कारण मृत्यु हो गयी. आगे कुछ नहीं कहूँगी...
ReplyDeleteहाँ , मैंने आपकी पोस्ट में उनके विषय में पढ़ा था | बहुत मजेदार शख्सियत रहे होंगे वो (जैसा कि ज्यादातर उन्नाव वाले होते हैं)|
Deleteउनको जन्मदिन की शुभकामनायें , ईश्वर उनकी आत्मा को असीम शांति प्रदान करे |
सादर
हाँ, वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteबसंतोत्सव की अनंत शुभकामनाएँ ...
ReplyDeleteहमने अपने स्वार्थ के कारण वसंत चाचा को उदास कर दिया है
ReplyDelete..खैर वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.सादर नमन ।।
ReplyDeleteप्यारी कविता ...शुभ बसंत, माँ शारदे को नमन
ReplyDeleteप्रकॄति चिंतन जरूरी है अगले बसंत मनाने को ...अच्छा लिखा है...
ReplyDeleteअब तो शायद कल्पना में ही बसंत आता है ..
ReplyDeleteबारिश आई बारिश आई
ReplyDeleteसाथ अपने बसंत ले आई
झूम नाच के धूम मचाई
बारिश आई बारिश आई
साथ अपने बसंत ले आई
बहुत सुन्दर रचना |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सुंदर अभिव्यक्ति आकाश...! हम फिर से सहेजना-संभालना शुरू कर दें बसंत चाचा को... तो शायद कुछ बात बन ही जाये ...
ReplyDelete~God Bless!!!
क्या संयोग हैं.....
ReplyDeleteएक हमारे भी बसंत चाचा थे...छोटी उम्र में ही चले गए.बड़ा स्नेह था हम सबका उनसे.
बसंत लौट के आता नहीं क्या???
सस्नेह
अनु
पूरे घर को ही नहीं बल्कि सबको ही इंतज़ार है बसन्त चाचा का,..लेकिन आपने सही कहा वे किस हाल में आते हैं यह किसी से छुपा नहीं ..फिर भी बसंत चाचा का इंतज़ार है ... .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सार्थक रचना
सुंदर रचना...
ReplyDeleteइस मौसम की बात ही निराली है...
बहुत ही आसन तरीके से अपनी बात समझा दी आकाश ...तुम्हारी प्रस्तुति हमेशा ही अनोखी होती है ...बसंत चाचा बहुत खूब रही ..मन को छु गई :-)
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ReplyDeleteAbhi bhi sochne ke lie kuch bacha hai to vasant chacha bhi maujud aur aate rahenge,pr badle hue halaat,aapke kahe anusaar badle iske lie to sochna hi padega...
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