'माली दादा' , काफी प्रचलित शब्द है | ज्यादातर घरों में आप माली को दादा कहते हुए सुनेंगे |
एक माली हमारे घरों में भी होते हैं , जिन्होंने बड़े प्यार और मेहनत से सींचकर हमारे परिवार की फुलवारी बनायी होती है , घर के बुजुर्ग , हमारे 'दादा' -
अंगना
की फुलवारी ,
तुमसे
बनी थी सारी ,
तुमने
ही बीज डारे ,
तुमने
की रखवारी ,
फिर
क्यूँ खफा हुए ,
हमसे
ओ दादा , हो....|
फिर
क्यूँ जुदा हुए ,
हमसे
ओ दादा , हो....|
चारों
तरफ थीं दुआएं तेरी ,
हर
पेड़ जैसे हँसता सा था ,
प्यार
की थी बारिश उस बाग में ,
हर
फूल जैसे महकता सा था ,
रूठी
बहार सारी ,
छायी
कैसी अंधियारी ,
तेरे
बिना यहाँ ,
हमपे
ओ दादा , हो....|
क्यूँ
तुम खफा हुए ,
हमसे
ओ दादा , हो....|
प्यार
से बोया था जिन बीज को ,
वही
आज नफरत उगलने लगे ,
खून
से सींचा था , जिन पेड़ को ,
खून
आज वो ही पीने लगे ,
क्या
थी खता हमारी ,
फूलों
की वो फुलवारी ,
काँटों
में बदली क्यूँ , हो....|
अंगना
की फुलवारी ,
सूखी
पड़ी है सारी ,
संग
फिर बहार लाओ ,
फिर
वो हवाएं प्यारी ,
फिर
से लौट आओ ,
घर
अपने दादा , हो....|
.
@!</\$}{
.
एक माली हमारे घरों में भी होते हैं , जिन्होंने बड़े प्यार और मेहनत से सींचकर हमारे परिवार की फुलवारी बनायी होती है , घर के बुजुर्ग , हमारे 'दादा' -
ReplyDeleteशब्दश: मन को छूता हर भाव गीत का ... बेहतरीन प्रस्तुति
क्या कहूँ आकाश....
ReplyDeleteभावनाओं की कमी नहीं पाती हूँ तुम्हारी रचनाओं में....
सुन्दर गीत..
सस्नेह
अनु
बेहद उम्दा प्रस्तुती ... हर चीज की कीमत उसे खो देने के बाद ही मालूम होती है।
ReplyDeleteबेतुकी खुशियाँ
अगर लौटा लाएँ हम जाने वालों को
ReplyDeleteतो फ़िर आँगन सजे और खिले क्यारी-क्यारी हो....
what a beautiful line..
ReplyDeleteसंग फिर बहार लाओ ,
फिर वो हवाएं प्यारी ,
फिर से लौट आओ ,
घर अपने दादा , हो....
thnx for sharing.......Akash bhai
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (21-12-2012) के चर्चा मंच-११०० (कल हो न हो..) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
बहुत खूब भईया...गहरे भाव से सजी सुंदर गीत...
ReplyDeleteबहुत सुंदर मार्मिक रचना ,जाने के बाद बही याद आते हैं अपने
ReplyDeleteदिल से लिखते हो..सच लिखते हो..अच्छा तो हो ही जायेगा..शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसुंदर कविता
ReplyDeleteएक-एक शब्द में दर्द भरा हुआ है.... बहुत दुख हो रहा है.... :(
ReplyDelete~God Bless !!!
बड़े ही मासूम अपनत्व से भरपूर ख्याल
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.....सुन्दर रचना...
ReplyDeleteMarmsparshi rachna.
ReplyDeleteUmda Rachna....
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/
क्यूँ खफा हो गए दादा जी ....?
ReplyDeleteनहीं हरकीरत जी मेरे घर में सब खुशहाल है , ये सिर्फ एक कल्पना है | :)
DeleteVery touching creation ! Thanks Akash ji.
ReplyDelete