जो सूनी गली में कोई शोर मचता ,
जो मुर्दों के घर में कोई रोज जगता ,
जब इंसा की नीयत न सिक्कों से तुलती ,
जब किस्मत की कुण्डी भी मेहनत से खुलती,
मैं फिर से समझता ये आगाज तो है ,
नए इक सफर का ये अंदाज तो है ||
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जो सीली हुई थीं , मशालें वो जलतीं ;
जो सिमटी हुई थीं , आवाजें वो उठतीं ;
जब फिर से निकलता, कभी लाल सूरज ;
जब मंदिर में मिलती , कोई सच्ची मूरत ;
मैं फिर से समझता ये आगाज तो है ,
नयी इक सुबह का ये अंदाज तो है ||
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कभी “काश” दिल में समंदर उफनता ;
कभी “काश” फिर वो दीवारें दरकतीं ;
कभी चीखता दूर बैठा हिमालय ;
कभी चाँद से “काश” ज्वाला निकलती ;
मैं फिर से समझता ये आगाज तो है ;
नयी जिंदगी का ये अंदाज तो है ||
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काश!!!
ReplyDeleteये आगाज तो है ;
ReplyDeleteनयी जिंदगी का ये अंदाज तो है ||
बहुत ही बढिया।
एगो बहुत पुराना गाना है ना- वो सुबह कभी तो आयेगी.. एकदम ओही इस्टाइल में लिखा हुआ कबिता है अऊर गहराई भी ओही है.. पता नहीं ई सपना कब सच होगा, पता नहीं हम ज़िंदा भी रहेंगे कि नहीं ऊ सब देखने के लिए.. मगर जो भी हो आने वाला नस्ल को अइसा दुनिया मिले काश!!
ReplyDeletekash jo hum chahte vo hota...
ReplyDeleteSundar rachna..
पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
बहुत सुन्दर लिखा है आकाश....
ReplyDeleteआगाज़ हुआ है तो अंजाम तक ले ही जायेंगे......
सस्नेह
अनु
"इंतजार रहेगा उस मंजर का भी..जिसका आगे तक हमारा हौसला टिका रहें..." बहुत बढ़िया लिखे हैं...बस ये काश..!!!वाली सोच..काश..!! सच्चाई में बदले.. |
ReplyDeleteक्या अंदाज है।
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