31 Aug 2012

बस यूँ ही-३


जो तुझको भी भुला दे वो ; दिखा कुछ रहमतें ऐसी ,

जो तुझसे भी निराली हो ; दिखा कुछ जन्नतें ऐसी ,

ना जाने लोग कैसे देख लेते रब को बन्दों में ;

मुझे तू जिनमे दिख जाये ; दिखा कुछ सूरतें ऐसी ||
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